वास्तु का अर्थ मनुष्यों और देवताओं का निवास होता है| वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है| वास्तु शास्त्र ब्रह्मांड के तत्वों द्वारा दिये गये लाभ मिलने में ये मदद करता है| ये बुनियादी तत्व आकाश (आकाश), पृथ्वी (धरती), पानी (जल), अग्नि (आग) और वायु (पवन) के रूप में हैं।
इस पूजा मे प्रवेश द्वार पर तोरण किया जाना चाहिए और एक शुभ वृक्ष का रोपण किया जाना चाहिए।उसके बाद पुन: गृह प्रवेश किया जाता है और फिर अग्नि और घर की शुद्धि कि जाती है| उसके बाद पूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ प्रार्थना करके हवन किया जाता है। हवन विशेष रूप से घर की दिशा के अनुसार किया जाना चाहिए। इस प्रकार देवता को पूजा जाता है जिससे आशीर्वाद प्राप्त होता है|
वास्तु शांति पूजा सभी धन और स्वास्थ्य समस्याओं उन्मूलन से किसी व्यक्ति के जीवन में अपार लाभ प्रदान करता है।किसी व्यक्ति के जीवन में सभी बुरी आत्माओं का प्रभाव हटाता हैं।ग्रहों की गलत स्थिति के कारण होनेवाले हानिकारक प्रभाव निकाल देता हैं।
किसी व्यक्ति के जीवन में फैले हुए अंधकार को हटाटा है| जीवन समृद्धि और खुशियोंसे भार जाता है |
जीवन में कभी-कभी हम उन परिस्थितियों से डरते हैं और विशिष्ट दिशा-निर्देशों, समाधानों को ढूंढने के लिए उत्सुक हैं, भ्रम से घिरे, क्या करें? कैसे करें? कहाँ करना है? क्यूं करें? इत्यादि। पंडित श्याम व्यास जी स्पष्ट उद्देश्य जनता के दिमाग से ....
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