समस्त संसार के पालनहार
तीन नेत्रो वाले शिव की हम आराधना करते है
विश्व मे सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव
मृत्यु न कि मोक्ष से हमे मुक्ति दिलाएं
इस एक मंत्र के कई नाम और रूप है। इसे रुद्र मंत्र भी जाता है। ये शिव के उग्र पहलू को दर्शाता है। त्र्यंबक मंत्र,शिव के तीन आँखों को दर्शाता है। कभी कभी इसे मृत संजीवनी के नामसे भी जाना जाता है, क्योंकि इस मंत्र में गये हुए प्राणों को वापस लाने की क्षमता है। ऋषियों द्वारा महामृत्युंजय मंत्र को वेदों का हृदय कहा गया है।
महामृत्युंजय मतलब महान मृत्यु पर जीत, आत्मा से अलग होने के भ्रम पर जीत है।
महामृत्युंजय मंत्र के वर्णो (अक्षरों) का अर्थ:
महामृत्युंघजय मंत्र के वर्ण पद वाक्यक चरण आधी ऋचा और सम्पुतर्ण ऋचा-इन छ: अंगों के अलग अलग अभिप्राय हैं।
ओम त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठर के अनुसार 33 देवताआं के घोतक हैं। उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं।
मंत्र दिखने में जरूर छोटा दिखाई देता है, किन्तु प्रभाव में अत्यंत चमत्कारी है!
शनि की साढ़ेसाती, अढय्या शनि, पनौती (पंचम शनि), राहु-केतु, पीड़ा, भाई का वियोग, मृत्युतुल्य विविध कष्ट, असाध्य रोग, त्रिदोषजन्य महारोग, अपमृत्युभय आदि अनिष्टकारी योगों में महामृत्युंजय प्रयोग रामबाण औषधि है।
यह मंत्र निम्न प्रकार से है-
एकाक्षरी(1) मंत्र- 'हौं' ।
त्र्यक्षरी(3) मंत्र- 'ॐ जूं सः'।
चतुराक्षरी(4) मंत्र- 'ॐ वं जूं सः'।
नवाक्षरी(9) मंत्र- 'ॐ जूं सः पालय पालय'।
दशाक्षरी(10) मंत्र- 'ॐ जूं सः मां पालय पालय'।
जीवन में कभी-कभी हम उन परिस्थितियों से डरते हैं और विशिष्ट दिशा-निर्देशों, समाधानों को ढूंढने के लिए उत्सुक हैं, भ्रम से घिरे, क्या करें? कैसे करें? कहाँ करना है? क्यूं करें? इत्यादि। पंडित श्याम व्यास जी स्पष्ट उद्देश्य जनता के दिमाग से ....
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